------------- लॉकडाउन ----------------

चाय पीते हुए अमित के दिमाग में बार-बार एक ही ख्याल आ रहा था कि एक हाउसवाइफ सारे दिन कैसे घर में रहती है यह सोच ही रहा था कि एक बॉल उसके पीठ पर आकर लगी और वह जोर से अपने बच्चों के ऊपर चिल्लाया। बच्चे सहम कर अपने कमरे में चले गए। उसने सोचा मैं तो 3 दिन में ही बोर हो गया। उसको अपनी पत्नी का ख्याल आ रहा था कि तभी उसकी पत्नी गरम- गरम समोसे लेकर उसके पास आई और मुस्कुराते हुए बोली- लीजिए ! मैंने आपकी पसंद का नाश्ता बनाया है। 'लॉकडाउन' वजह तो अच्छी नहीं पर आप घर पर तो हैं। प्राइवेट नौकरी की वजह से अमित कभी अपनी पत्नी व बच्चों पर ध्यान ही नहीं दे सका । शादी के 16 साल कैसे निकल गए पता ही नहीं चला । सुबह जल्दी जाकर देर रात तक घर लौटना ही उसकी दिनचर्या बन गई थी और घर आते ही अपनी थकावट का गुस्सा अपनी पत्नी के ऊपर निकालना और ताने मारना-घर पर बैठे-बैठे तुम करती क्या रहती हो ? बस सोना, टीवी देखना और अपने मायके वालों से फोन पर बात करना ।
अब अमित समझ पा रहा था कि उसकी पत्नी कितनी व्यस्त दिनचर्या से रोजाना दो-चार होती है।सुबह से उठकर रात तक घर में काम करना बच्चों को पढ़ाना,खिलाना ,सुलाना, बड़ों का ध्यान रखना । शायद अपने लिए तो आधा घंटा भी नहीं निकाल पाती होगी ।अमित समझ पा रहा था कि उसकी पत्नी की कितनी व्यस्त दिनचर्या होती है , वह यह भी समझ पा रहा था कि दिन भर घर में लॉक डाउन होकर भी उसकी पत्नी शाम को किस मनोदशा से मुस्कुराते हुए उसका स्वागत करती है जब वह ऑफिस से घर आता है ।अब उसे अपने कहे सारे शब्दों पर अफसोस हो रहा था और अब वह असली लॉकडाउन का मतलब समझ गया था ।
- निधि शेखर
(आगरा)

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